बाजारू सामान है पूरा ही मिलावटी बन रहा है

बाजारू सामान है पूरा ही मिलावटी बन रहा है #बीमारियों का कारण#मिलावटखोर माफ़िया द्वारा जहां #नकली #मिठाईयां,नकली #देसी घी,#डालडा,#मक्खन,#ज़हरीले नमकीन जैसे खाद्य पदार्थ बाज़ार में उपभोक्ताओं की #मौत व #बीमारी का सबब बन रहे हैं वहीं साज-सज्जा की नकली सामग्री,नक़ली दवाईयां बनाने का नेटवर्क, #ऑक्सीटॉसिन इंजेक्शन लगाकर उगाई जाने वाली सुडौल व आकर्षक #सब्जि़यां,ज़हरीली #रासायनिक दवाईयों का प्रयोग कर पकाए जाने वाले आम,सेब व केला आदि फल, शुद्ध जल की नक़ली बोतलें,नकली पेयजल से लेकर मनियारी कारोबार वाले सैकड़ों नकली व शरीर को नुक़सान पहुंचाने वाले तमाम सामान भी बाज़ार से बरामद किये जाने के समाचार प्राप्त होते रहते हैं। परंतु नक़ ली,अशुद्ध तथा मिलावटी वस्तुओं का कारोबार है कि इन पुलिसिया कार्रवाईयों के बावजूद कम होने के बजाए बढ़ता ही जा रहा है। निश्चित रूप से ऐसा लगता है कि देश में एक बहुत बड़ा माफ़िया नेटवर्क बन चुका है जो कम समय में अधिक से अधिक धन कमाए जाने की लालच में आम लोगों की जान से भी खिलवाड़ करने पर पूरी तरह आमादा है।और यही नेटवर्क आम लोगों की जान से खिलवाड़ करने पर तुला हुआ है। कालांतर में ऐसी मिलावटी अथवा नक़ली वस्तुओं के बिकने की संभावना दूर-दराज़ के पिछड़े हुए गांव देहातों तक में ही हुआ करती थी। परंतु जैसे-जैसे हमारा देश आधुनिकीकरण की ओर बढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे खाद्य सामग्रियों तथा आम लोगों के दैनिक जीवन में प्रयोग में आने वाली वस्तुओं में मिलावटखोरी तथा ‘डुप्लाकेसी’ का दखल भी अत्याधिक तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। हमारे देश में न$कली व विषैली शराब पीने से मरने वालों की संख्या तो अब तक हज़ारों में पहुंच चुकी है।जब तक हमारे देश में ऐसे मिलावटखेरों के विरुद्ध फांसी जैसी सख्त सज़ा का प्रावधान नहीं होता तथा जब तक हमारे देश में ऐसे अपराध करने वाले किसी अपराधी को फांसी के फंदे पर लटकाया नहीं जाता तब तक मिलावटखोरी पर संभवत: नियंत्रण नहीं हो सकेगा। ऐसे नियोजित अपराधों के लिए #सज़ा-ए-मौत का प्रावधान ही होना चाहिए।